IPO का हीरो बना जीरो: 80% तक टूटा शेयर, निवेशकों के करोड़ों डूबे – जानिए 4 बड़ी वजहें

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IPO का हीरो बना जीरो: 80% तक टूटा शेयर, निवेशकों के करोड़ों डूबे – जानिए 4 बड़ी वजहें

नई दिल्ली:
शेयर बाजार में एक बार फिर यह साबित हो गया कि हर चमकने वाली चीज सोना नहीं होती। जिस IPO को निवेशकों ने ‘हीरो’ समझकर हाथों-हाथ लिया था, वही कुछ ही समय में ‘जीरो’ बन गया। हम बात कर रहे हैं DreamFolks Services के उस शेयर की जिसने लिस्टिंग के बाद शुरुआत में जबरदस्त उछाल दिखाया लेकिन अब लगभग 80% तक गिर चुका है। इस गिरावट ने हजारों खुदरा निवेशकों (retail investors) की गाढ़ी कमाई को पानी-पानी कर दिया।

यह कहानी केवल एक स्टॉक की नहीं, बल्कि उन उम्मीदों और भरोसे की भी है जो IPO में निवेश करने वाले हर आम आदमी के मन में होती है। लेकिन जब आंकड़े, विश्लेषण और हकीकत टकराते हैं, तो अक्सर सच्चाई कड़वी साबित होती है।

DreamFolks Services: IPO से शुरुआत तक का सफर

DreamFolks Services एक ऐसी कंपनी है जो हवाई अड्डों पर VIP सर्विसेस – जैसे लाउंज एक्सेस, फास्ट ट्रैक चेकइन, स्पा, भोजन आदि – देने का काम करती है। इसने एक खास इंटरमीडियरी (middleman) बिज़नेस मॉडल अपनाया, जहां कंपनी खुद सर्विस नहीं देती, बल्कि ग्राहकों और सेवा प्रदाताओं के बीच पुल का काम करती है।

IPO की चमक:

जब DreamFolks ने अपना IPO लॉन्च किया था, तो यह 326 रुपये प्रति शेयर पर प्राइस बैंड लेकर आया था। लिस्टिंग के दिन ही शेयर ने लगभग 56% की उछाल दिखाई और 508 रुपये तक ट्रेड किया।

लेकिन अब क्या हुआ?

कंपनी के शेयर अब गिरकर 100 रुपये से नीचे आ चुके हैं। यानी जिसने लिस्टिंग के आस-पास शेयर खरीदे थे, वह लगभग 70–80% घाटे में है। इतना ही नहीं, कई निवेशकों के लिए यह नुकसान लाखों रुपये का रहा है।

आइए समझते हैं उन 4 कारणों को, जिनकी वजह से यह IPO “हीरो” से “ज़ीरो” बन गया:

 1. कमजोर और अस्थिर बिज़नेस मॉडल

DreamFolks का बिज़नेस मॉडल एक इंटरमीडियरी के रूप में काम करने वाला है। इसका मतलब यह है कि कंपनी खुद कोई सेवा नहीं देती, बल्कि दूसरे पार्टनर्स की सेवाओं को ग्राहकों तक पहुंचाती है। हालांकि यह मॉडल स्केलेबल तो है, लेकिन यह पूरी तरह इस बात पर निर्भर है कि पार्टनर कंपनियां और ग्राहक कंपनी के साथ कितनी देर तक जुड़े रहते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा मॉडल बहुत ही अस्थिर होता है। कोई भी बड़ा प्लेयर – जैसे एयरलाइन या क्रेडिट कार्ड कंपनी – खुद अपनी इन-हाउस सर्विस शुरू कर दे तो DreamFolks का बिज़नेस खतरे में आ सकता है।

 2. स्मार्ट मनी का निकल जाना

IPO में कई बार बड़ी निवेशक संस्थाएं (Institutional Investors) शुरू में भारी निवेश करती हैं और जैसे ही शेयर लिस्ट होता है, वे मुनाफा काटकर निकल जाती हैं। इस बार भी ऐसा ही हुआ।

शुरुआती दिनों में जब शेयर ने तेजी दिखाई, तब ही कई बड़े निवेशकों ने अपने हिस्से बेचना शुरू कर दिए। इससे शेयर पर भारी दबाव आया और धीरे-धीरे गिरावट शुरू हुई।

जब ये संस्थागत निवेशक बाहर निकलते हैं, तो रिटेल निवेशक बिना अनुभव के शेयर होल्ड करते रहते हैं और अंत में नुकसान उठाते हैं।

 3. वेल्यूएशन की चिंता

कई एनालिस्ट्स का कहना है कि DreamFolks के IPO का प्राइस बहुत ज्यादा तय किया गया था। कंपनी के मुनाफे और रेवेन्यू के अनुपात में यह वेल्यूएशन अनरियलिस्टिक था।

IPO के समय PE Ratio और Price-to-Sales Ratio जैसे फाइनेंशियल इंडिकेटर्स को ध्यान में रखने वाले विश्लेषकों ने चेतावनी दी थी कि यह शेयर ओवरवैल्यूड (Overvalued) है।

अब जब बाजार में करेक्शन आया, तो सबसे पहले ऐसे ओवरवैल्यूड शेयर ही गिरे।

 4. लिमिटेड ग्रोथ और कंपीटिशन का खतरा

DreamFolks की सेवाएं एयरपोर्ट पर विशेष प्रकार की होती हैं – जैसे लाउंज एक्सेस, VIP ट्रांसफर, फूड कूपन आदि। यह एक सीमित बाजार है, जिसमें बहुत अधिक विस्तार की संभावना नहीं है।

साथ ही इस क्षेत्र में नए कंपीटिटर्स का आना बहुत आसान है। क्रेडिट कार्ड कंपनियां, बैंकों के वफादारी प्रोग्राम, या यहां तक कि एयरलाइंस भी ऐसी सेवाएं दे सकती हैं।

इसलिए निवेशकों को लगने लगा कि कंपनी की ग्रोथ सीमित है और प्रतिस्पर्धा तेज होती जा रही है।

निवेशकों की कहानी: भरोसा टूटा, पैसे डूबे

DreamFolks की गिरावट ने उन रिटेल निवेशकों को झटका दिया है, जिन्होंने IPO को लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट मानकर निवेश किया था। कई लोगों ने लिस्टिंग गेन की उम्मीद में शेयर खरीदा, लेकिन गिरावट के बाद वे “फंस” गए।

कुछ निवेशकों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया:

“IPO में 50,000 रुपये लगाए थे, अब वैल्यू सिर्फ 10,000 रह गई है।”

“लिस्टिंग के बाद खरीद लिया, अब 75% नुकसान में हूँ, क्या करूं समझ नहीं आता।”

“ये तो ठग लिया हमें! ये IPO गेम बड़े लोगों के लिए है, छोटे निवेशक सिर्फ नुकसान उठाते हैं।”

एक्सपर्ट्स की राय: क्या अब खरीदारी का समय है?

विशेषज्ञों का मानना है कि अभी ऐसे शेयरों से दूर रहना ही समझदारी है। जब तक कंपनी की फाइनेंशियल परफॉर्मेंस में ठोस सुधार न दिखे, तब तक इसमें निवेश करना रिस्की रहेगा।

कुछ एनालिस्ट्स का यह भी मानना है कि अगर किसी ने अभी तक शेयर नहीं बेचा है, तो उन्हें होल्ड करके क्वॉर्टरली नतीजों का इंतजार करना चाहिए। लेकिन नए निवेशकों को फिलहाल सतर्क रहना चाहिए।

IPO से सीख: खुद से सवाल पूछना जरूरी है

हर निवेशक को IPO में निवेश से पहले कुछ अहम सवाल खुद से पूछना चाहिए:

1. क्या कंपनी का बिज़नेस मॉडल मजबूत और स्केलेबल है?

2. क्या वेल्यूएशन जायज़ है?

3. क्या भविष्य में कंपनी को लेकर कोई कंपीटिशन या खतरा है?

4. क्या इस IPO में ‘स्मार्ट मनी’ ज्यादा है?

अगर इन सवालों के जवाब ‘हां’ में नहीं हैं, तो ऐसे IPO से दूर रहना बेहतर होता है।

निष्कर्ष: IPO में चकाचौंध से सावधान

DreamFolks Services की यह कहानी उन हजारों निवेशकों के लिए एक चेतावनी है जो IPO की भीड़ में बिना रिसर्च के पैसे लगाते हैं। IPO में निवेश जरूर करें, लेकिन सोच-समझकर। सिर्फ इसलिए कि कोई शेयर तेज़ी में है या उसके पीछे बड़े नाम हैं – यह किसी भी निवेश का आधार नहीं हो सकता।

किसी भी कंपनी की बैलेंस शीट, फाइनेंशियल प्रदर्शन, बिजनेस मॉडल और भविष्य की संभावनाओं को देखकर ही निवेश करें।

 आखिरी सलाह:

अगर आपने DreamFolks में निवेश किया है, तो घबराएं नहीं। एक बार कंपनी के आने वाले तिमाही नतीजों का विश्लेषण करें। यदि कंपनी में सुधार के संकेत मिलें, तो होल्ड करें। अन्यथा घाटे में भी निकल जाना कभी-कभी लंबी अवधि में फायदेमंद साबित हो सकता है।

आपका पैसा, आपकी ज़िम्मेदारी – निवेश से पहले सोचें, समझें और फिर कदम उठाएं।

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